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भारत सरकार ने हाल ही में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम (डीपीडीपी) के आधार पर सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) में कुछ संशोधन किए हैं.  जिसका सामाजिक संगठनों द्वारा व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है.

इसी सिलसिले में शुक्रवार (21 मार्च) को दिल्ली के प्रेस क्लब में राष्ट्रीय जन सूचना अधिकार अभियान  (एनसीपीआरआई), मज़दूर किसान शक्ति संगठन और दूसरे करीब 34 संगठनों ने इसे लेकर विरोध प्रदर्शन किया. 

बता दें कि डीपीडीपी कानून बन चुका है.  इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसके कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 का मसौदा तैयार किया है. जिस पर 18 फरवरी तक लोगों की राय मांगी गई थी. 

एक तरफ केंद्र सरकार का कहना है कि डीपीडीपी को बनाने का मकसद लोगों की निजता की रक्षा करना है. वहीं, आरटीआई को लेकर काम करने वालों की मानें तो इसके लिए आरटीआई में संशोधन कर दिया गया है. जिसके बाद सूचना लेना मुश्किल हो जाएगा.

आखिर सरकार डीपीडीपी के जरिए आरटीआई को कैसे कमज़ोर कर रही है?  कैसे यह बदलाव पत्रकारों के लिए खतरनाक होगा. 

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